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बाबा वेंगा | एक रहस्य, एक भविष्य, एक विश्वास| Baba vanga
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Baba vanga "आँखों से अंधी... लेकिन भविष्य की आँखों से सब कुछ देखती थी!" एक तूफान ने उससे उसकी दृष्टि छीनी, लेकिन बदले में दे दी ऐसी शक्ति... जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। क्या कोई सच में भविष्य देख सकता है? या ये बस एक रहस्य है – इंसान की सबसे बड़ी जिज्ञासा का?" आइए मिलते हैं बाबा वेंगा से – उस महिला से, जिसे 'भविष्य की भविष्यवक्ता' कहा गया। दुनिया में कई रहस्यमयी हस्तियाँ आईं, लेकिन बुल्गारिया की एक महिला ने अपने भविष्यवाणियों से पूरी मानवता को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसका नाम था – बाबा वेंगा । आंखों से देख नहीं सकती थीं, लेकिन कहानियों के मुताबिक भविष्य उन्हें साफ दिखाई देता था। क्या सच में वो भविष्य देख सकती थीं? या फिर यह सब संयोग मात्र था? आइए जानते हैं बाबा वेंगा की जीवनगाथा और उनके रहस्यमयी भविष्यवाणियों की कहानी। प्रारंभिक जीवन बाबा वेंगा का जन्म 31 जनवरी 1911 को उस समय के ओटोमन साम्राज्य (अब उत्तर मैसेडोनिया) के एक गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम था वेंगेलिया पांडेवा गुषतेरोवा। बचपन में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया और उनके पिता को युद्ध में जाना प...
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जहरीला चलन भाग - 1[ दहेज प्रथा पर आधारित]
दृश्य:प्रथम। अंक प्रथम। इस कथानक के सभी कहानी तथ्य पूर्णतया काल्पनिक है___ लेखक जहरीला चलन [ दहेज प्रथा पर लिखी कहानी] लेखक - केदारनाथ भारतीय अविनाश के टूटे- फूटे कच्चे मकान के बाहर बैंड – बाजों सहित बारात का आगमन होने में बस कुछ ही समय शेष बचे हुए हैं।झालर - मोतियों से जगमगाता हुआ वह विपन्न सदन, स्वयं में अति सौंदर्य धारण किए हुए शांत स्वरूपों में मुस्कुरा रहा है। सेवाराम दो - तीन बुजुर्गों के साथ अविनाश के एक छोटे से ड्राइंग हाल में बैठा हुआ धीरे - धीरे चाय की चुस्कियां ले रहा है।सभी के सिरों में पगड़ियां बंधी हुईं हैं। उनके दाएं बाएं जवान लड़कों और छोटे मोटे चतुर बच्चों का आना - जाना जारी है।किसी के हाथों में बाल्टी है तो किसी के हाथों में जग और गिलाश है । एक या दो बच्चों के हाथों में चाय की केतलिया है। आज यहां अविनाश की बहन रेखा का विवाहोत्सव है।वे रेखा के होने वाले ससुर है, जिनके चरित्रों में धन लोलुपता का वास है। अभी द्वार - पूजा निमित्त बाराती गणों और दूल्हे के वैनों को रोके हुए अव...
तुम संग – एक नई दुनिया | भाग 2|Tum sang - ek nai duniya| bhag 2
A story of love, struggle, and self-confidence..." कहते हैं, कुछ मुलाकातें सिर्फ इत्तेफाक नहीं होतीं… वे किस्मत के धागों से बंधी होती हैं। यह कहानी भी एक ऐसे ही प्यार की है, जो वक्त से परे है... एक प्रेम, संघर्ष और आत्म-विश्वास की कहानी... गाँव की गलियों में सन्नाटा था। हर दरवाज़ा, हर खिड़की, हर निगाह जैसे सुमन और अविनाश के बारे में जानती थी, मगर चुप थी। अब दोनों के लिए केवल सपने काफी नहीं थे—उन्हें हिम्मत और रास्तों की भी जरूरत थी। सुमन ने घर में कैद रहते हुए भी हार नहीं मानी। उसने अपनी पुरानी नोटबुक्स छुपाकर रखी थी। जैसे ही मौका मिलता, वह रात में चुपचाप छत पर जाकर पढ़ाई करती। उस शांत अंधेरे में, उसके भीतर उम्मीद की रौशनी जलती रहती। उधर अविनाश भी खेत में काम करने के बाद बचे हुए समय में जी-जान से पढ़ाई करता। उसकी आँखों के नीचे गहरे काले घेरे बन गए थे, पर उसकी आत्मा थकी नहीं थी। एक शाम, गाँव में एक नए स्कूल का उद्घाटन हुआ। सुमन को यह खबर सुनते ही उम्मीद की एक किरण दिखी। उसने अपनी माँ से आग्रह किया, “अम्मा, मुझे फिर से स्कूल जाना है। अगर पढ़ूँगी नहीं, तो क्या बन पाऊँगी?” माँ ने कुछ ...
🔹 तुम संग – एक नई दुनिया 🔹 Tum Sang - Ek Nai Duniya
तुम संग – एक नई दुनिया "कहते हैं, कुछ मुलाकातें सिर्फ इत्तेफाक नहीं होतीं… वे किस्मत के धागों से बंधी होती हैं। यह कहानी भी एक ऐसे ही प्यार की है, जो वक्त से परे है... तुम संग, एक नई दुनिया , भाग 1. एक प्रेम, रोमांच और सपनों की कहानी... पेश है एक अनोखी यात्रा, जहाँ प्रेम की हर धड़कन में नई दुनिया बसती है..। गाँव का सूरज धीमे-धीमे पहाड़ियों के पीछे से झाँक रहा था। खेतों में हल जोतते बैलों की आवाज़ और पक्षियों की चहचहाहट सुबह के सन्नाटे को तोड़ रही थी। इसी गाँव में रहता था अविनाश—एक साधारण किसान परिवार का लड़का, मगर सपने असाधारण। अविनाश की आँखों में एक लक्ष्य था—इंजीनियर बनने का। मगर यह राह आसान नहीं थी। गाँव में शिक्षा को लेकर उदासीनता थी। लोग मानते थे कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी खेतों में काम करना है। फिर भी, वह हर सुबह अपनी पुरानी किताबें उठाता और पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने बैठ जाता। उसी गाँव में रहती थी सुमन —एक तेज-तर्रार लड़की, जिसे पढ़ाई से उतना ही प्यार था जितना अविनाश को। मगर उसके घर की सोच उससे बिल्कुल विपरीत थी। "लड़कियों को ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत...
Prime Minister Modi's Visit to Prayagraj: Transforming the Spiritual City for Mahakumbh 2025. "महाकुंभ 2025 की ओर: प्रधानमंत्री मोदी का प्रयागराज दौरा और विकास की नई शुरुआत"
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