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मोहर्रम का इतिहास|The History of Muharram

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करबला की कहानी और इमाम हुसैन की अमर गाथा ✍️ लेखक: नागेन्द्र भारतीय 🌐 ब्लॉग: kedarkahani.in | magicalstorybynb.in कहते है, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है — मोहर्रम। जब दुनियाभर में लोग नववर्ष का जश्न मनाते हैं, तब मुसलमान मोहर्रम की शुरुआत शोक और श्रद्धा के साथ करते हैं। यह महीना केवल समय का प्रतीक नहीं, बल्कि उस संघर्ष, बलिदान और उसूल की याद दिलाता है, जिसे इमाम हुसैन ने करबला की तपती ज़मीन पर अपने खून से सींचा था। मोहर्रम का अर्थ है — “वर्जित”, यानी ऐसा महीना जिसमें लड़ाई-झगड़े निषिद्ध हैं। लेकिन इतिहास ने इस महीने में ऐसी त्रासदी लिख दी, जो आज भी करोड़ों लोगों की आँखें नम कर देती है। 📜 मोहर्रम का इतिहास  🕋 इस्लामी महीनों में पवित्र मोहर्रम को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में गिना जाता है मुहर्रम, रजब, ज़ुल-क़ादा और ज़ुल-हिज्जा (या ज़िल-हिज्जा)। लेकिन मोहर्रम का विशेष महत्व इस बात से है कि इसमें करबला की त्रासदी हुई — एक ऐसा युद्ध जो केवल तलवारों का नहीं था, बल्कि विचारधारा और सिद्धांतों का संघर्ष था। करबला की कहानी इस्लाम के पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एक ऐ...

तुम संग – एक नई दुनिया | भाग 2|Tum sang - ek nai duniya| bhag 2

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A story of love, struggle, and self-confidence..." कहते हैं, कुछ मुलाकातें सिर्फ इत्तेफाक नहीं होतीं… वे किस्मत के धागों से बंधी होती हैं। यह कहानी भी एक ऐसे ही प्यार की है, जो वक्त से परे है... एक प्रेम, संघर्ष और आत्म-विश्वास की कहानी... गाँव की गलियों में सन्नाटा था। हर दरवाज़ा, हर खिड़की, हर निगाह जैसे सुमन और अविनाश के बारे में जानती थी, मगर चुप थी। अब दोनों के लिए केवल सपने काफी नहीं थे—उन्हें हिम्मत और रास्तों की भी जरूरत थी। सुमन ने घर में कैद रहते हुए भी हार नहीं मानी। उसने अपनी पुरानी नोटबुक्स छुपाकर रखी थी। जैसे ही मौका मिलता, वह रात में चुपचाप छत पर जाकर पढ़ाई करती। उस शांत अंधेरे में, उसके भीतर उम्मीद की रौशनी जलती रहती। उधर अविनाश भी खेत में काम करने के बाद बचे हुए समय में जी-जान से पढ़ाई करता। उसकी आँखों के नीचे गहरे काले घेरे बन गए थे, पर उसकी आत्मा थकी नहीं थी। एक शाम, गाँव में एक नए स्कूल का उद्घाटन हुआ। सुमन को यह खबर सुनते ही उम्मीद की एक किरण दिखी। उसने अपनी माँ से आग्रह किया, “अम्मा, मुझे फिर से स्कूल जाना है। अगर पढ़ूँगी नहीं, तो क्या बन पाऊँगी?” माँ ने कुछ ...

🔹 तुम संग – एक नई दुनिया 🔹 Tum Sang - Ek Nai Duniya

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    तुम संग – एक नई दुनिया  "कहते हैं, कुछ मुलाकातें सिर्फ इत्तेफाक नहीं होतीं… वे किस्मत के धागों से बंधी होती हैं। यह कहानी भी एक ऐसे ही प्यार की है, जो वक्त से परे है... तुम संग, एक नई दुनिया , भाग 1. एक प्रेम, रोमांच और सपनों की कहानी... पेश है एक अनोखी यात्रा, जहाँ प्रेम की हर धड़कन में नई दुनिया बसती है..। गाँव का सूरज धीमे-धीमे पहाड़ियों के पीछे से झाँक रहा था। खेतों में हल जोतते बैलों की आवाज़ और पक्षियों की चहचहाहट सुबह के सन्नाटे को तोड़ रही थी। इसी गाँव में रहता था अविनाश—एक साधारण किसान परिवार का लड़का, मगर सपने असाधारण। अविनाश की आँखों में एक लक्ष्य था—इंजीनियर बनने का। मगर यह राह आसान नहीं थी। गाँव में शिक्षा को लेकर उदासीनता थी। लोग मानते थे कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी खेतों में काम करना है। फिर भी, वह हर सुबह अपनी पुरानी किताबें उठाता और पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने बैठ जाता। उसी गाँव में रहती थी सुमन —एक तेज-तर्रार लड़की, जिसे पढ़ाई से उतना ही प्यार था जितना अविनाश को। मगर उसके घर की सोच उससे बिल्कुल विपरीत थी। "लड़कियों को ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत...

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