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Doctor sir ANM

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Doctor sir ANM  गांव बड़ेली की बेटी बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े डॉक्टर होते हैं... लेकिन असली नायक वो होती है जो कच्चे रास्तों से होते हुए, गाँव की मिट्टी में ज़िंदगी बचाने जाती है... बिना लाइमलाइट के... बिना तामझाम के... ANM!”  वह सर्द सुबह थी। बड़ेली गांव की धुंध में लिपटी एक साड़ीधारी महिला, अपने झोले में स्टेथेस्कोप और टीके भरकर निकल चुकी थी – क्योंकि आज उसे तीन घरों में गर्भवती महिलाओं की जांच करनी थी। उसका नाम है सोनाली, लेकिन गांव के बच्चे उसे "डॉक्टर जी ANM" कहकर बुलाते हैं – प्यार से, गर्व से, और भरोसे से।  दरअसल बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बड़ेली की। मिट्टी की खुशबू, बैलों की चरचराहट और खेतों के बीच बसी एक प्यारी-सी दुनिया। वहीं एक लड़की थी – चंचल, होशियार और हमेशा मुस्कुराने वाली – उसका नाम था सोनाली । 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी उसने, लेकिन घर की हालत ऐसी नहीं थी कि कोई बड़ी पढ़ाई का सपना देखा जाए। पिता किसान थे, मां आंगनवाड़ी में सहायिका। दो छोटे भाई-बहन थे, जिन्हें संभालने में सोनाली मां की दाहिनी हाथ बन चुकी थी। एक दिन सोनाली अपनी मां ...

Inflating Roti on Gas Flame: A Health Risk or a Myth ? "गैस पर रोटी फुलाना: सेहत के लिए खतरा या भ्रम ?"


बिना तवे पर रोटी फुलाने का जोखिम 

हमारे देश में रोटी केवल एक भोजन नहीं है, यह हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। हर घर में रोटी बनती है, और इसे पकाने के तरीके भी भिन्न-भिन्न होते हैं। इनमें से एक तरीका है रोटी को तवे पर अधपकी छोड़कर सीधे गैस की आग पर फुलाना। हालांकि यह तरीका आम है और इससे रोटी नरम और स्वादिष्ट लगती है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दोस्ती इस लेख में हम समझेंगे कि गैस की आग पर रोटी फुलाने का कैंसर से क्या संबंध हो सकता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं।
कैसे होता है खतरा ?
  • धुएं के संपर्क में आना :
जब रोटी सीधे गैस पर रखी जाती है, तो जलने की प्रक्रिया के दौरान धुआं बनता है। यह धुआं हानिकारक रसायनों से भरपूर होता है, जैसे कि पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs) और हेट्रोसाइक्लिक एमाइन्स (HCAs)। ये रसायन कैंसर पैदा करने वाले तत्वों के रूप में जाने जाते हैं।
  • कार्बन के अवशेष :
रोटी के जलने से उस पर कार्बन के काले अवशेष (char) बन जाते हैं। ये अवशेष सीधे पेट में जाने पर शरीर में मुक्त कण (free radicals) उत्पन्न कर सकते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।
  • गैस के दुष्प्रभाव :
गैस स्टोव से निकलने वाली बिना जली गैस (unburned gas) और अन्य प्रदूषक भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इनके संपर्क में लगातार आने से श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

कैंसर का खतरा क्यों बढ़ता है  ?

कैंसर एक जटिल रोग है, जो कई कारकों से प्रभावित होता है। यदि नियमित रूप से गैस पर रोटी फुलाई जाती है, तो उसके संपर्क में आने वाले हानिकारक रसायन धीरे-धीरे शरीर में जमा हो सकते हैं। ये रसायन डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास शुरू हो सकता है।

विशेष रूप से मुंह, गले, और पेट के कैंसर का खतरा इस प्रक्रिया से जुड़ा हुआ पाया गया है। जो लोग पहले से ही धूम्रपान करते हैं या प्रदूषण भरे माहौल में रहते हैं, उनके लिए यह जोखिम और अधिक हो सकता है।
क्या कहता है विज्ञान  ?
कई शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि सीधे आग पर पकाए गए भोजन में हानिकारक रसायनों की मात्रा अधिक होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य स्वास्थ्य संगठनों ने आग पर भोजन पकाने के जोखिमों को उजागर किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भोजन पकाने के ऐसे तरीके, जिनमें अत्यधिक तापमान या जलने की संभावना हो, स्वस्थ नहीं माने जाते। यह केवल रोटी तक सीमित नहीं है; तली-भुनी या बारबेक्यू की गई चीज़ों में भी यह खतरा पाया जाता है।
समाधान क्या है  ?
  •  तवे का उपयोग करें :
रोटी को अच्छे से पकाने के लिए तवे का ही उपयोग करें। तवे पर पकाई गई रोटी अधिक सुरक्षित होती है क्योंकि इसमें जलने या धुएं का जोखिम कम होता है।
  • गैस की आग से बचें :
रोटी को सीधे गैस पर फुलाने से बचें। यदि आपको फूली हुई रोटी पसंद है, तो इसके लिए इलेक्ट्रिक तवे या ओवन का उपयोग करें।
  • साफ तवा और बर्तन :
खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों को नियमित रूप से साफ रखें। जले हुए अवशेष बार-बार इस्तेमाल होने पर हानिकारक हो सकते हैं।
  • कम तापमान पर पकाएं :
भोजन पकाने के लिए अत्यधिक तापमान से बचें। यह न केवल रोटी बल्कि अन्य खाद्य पदार्थों के लिए भी लागू होता है।
  • शोध और जागरूकता :
लोगों को इस विषय में शिक्षित करना बेहद जरूरी है। रोटी फुलाने के पारंपरिक तरीकों के स्वास्थ्य प्रभावों पर वैज्ञानिक जानकारी का प्रचार-प्रसार होना चाहिए।

संस्कृति और स्वास्थ्य का संतुलन 

हमारी परंपराओं में बदलाव लाना आसान नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए छोटे-छोटे बदलाव जरूरी हैं। तवे पर पूरी तरह से पकी हुई रोटी भी उतनी ही स्वादिष्ट और नरम हो सकती है, बशर्ते इसे सही तरीके से पकाया जाए।

गैस की आग पर रोटी फुलाने की प्रक्रिया परंपरा और सुविधा के बीच की एक कड़ी हो सकती है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले संभावित दुष्प्रभाव गंभीर हैं। रसोईघर में छोटी-छोटी आदतों में बदलाव लाकर हम न केवल अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं बल्कि एक बेहतर जीवनशैली भी अपना सकते हैं।
दोस्तो! आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में है। सही जानकारी और सतर्कता से ही आप अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षित भोजन की गारंटी दे सकते हैं।
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