माँ का अधूरा सपना
यह कहानी माँ के सपनों और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी है। पढ़िए यह भावनात्मक माँ पर कहानी हिंदी में।
बचपन की खुशबू
कितनी अजीब बात है —
जब हम बड़े होते हैं तो हमें अपने बचपन की खुशबू याद आने लगती है।
आदित्य भी अब वही महसूस कर रहा था।
वह दिल्ली की भीड़ में फँसा एक छोटा सा आदमी था, लेकिन उसके मन में एक गाँव बसता था —
जहाँ उसकी माँ रहती थी।
आदित्य के लिए माँ सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं थी,
बल्कि उसका पूरा संसार थी।
जब वह छोटा था, माँ हर सुबह उसे जगाते हुए कहती —
“बेटा, एक दिन तू बड़ा आदमी बनेगा।”
उस समय आदित्य को हँसी आती थी।
उसे लगता था — माँ बस मनाने के लिए कहती है।
पर अब वही बात उसकी आँखों में आँसू बनकर उतर आती थी।
संघर्ष और माँ का त्याग
आदित्य का बचपन गरीबी में बीता।
माँ ने कभी अपनी भूख की परवाह नहीं की।
वह खेतों में मजदूरी करती, फिर घर आकर रोटी बनाती,
और बेटे की कॉपी-किताबें दुरुस्त करती।
कभी-कभी बिजली नहीं होती, तो वह दीए की रोशनी में बेटे को पढ़ाती।
माँ का सपना था कि आदित्य “अफसर” बने।
पर हालात इतने कठिन थे कि स्कूल की फीस भरना भी मुश्किल हो जाता।
कई बार माँ ने अपनी साड़ी बेच दी ताकि बेटे की किताब आ सके।
आदित्य को तब समझ नहीं था कि यह त्याग क्या होता है।
लेकिन हर बार जब माँ मुस्कुराती थी,
वह समझता — माँ की मुस्कान ही उसकी सबसे बड़ी संपत्ति है।
सपनों का शहर और दूर होती माँ
समय बीतता गया।
आदित्य ने मेहनत की और कॉलेज में दाख़िला लिया।
फिर नौकरी के लिए दिल्ली आ गया।
यहाँ की चमकदार ज़िंदगी ने उसे अपने सपनों में बाँध लिया।
धीरे-धीरे फोन कॉल कम हुए, बातें छोटी होने लगीं।
माँ गाँव में हर शाम दरवाज़े पर बैठ जाती,
और आसमान की तरफ देखकर सोचती —
“आज आदित्य जरूर फोन करेगा।”
कभी फोन आता, कभी नहीं।
फिर भी वह हर दिन इंतज़ार करती रही।
एक दिन गाँव के डाकिया ने चिट्ठी दी —
“माँ, मैं व्यस्त हूँ। बहुत काम है। अगले महीने आऊँगा।”
माँ ने वह चिट्ठी कई बार पढ़ी।
हर बार पढ़ते हुए मुस्कुराती, और आँखों से आँसू गिरते जाते।
जब सब कुछ बदल गया
एक दिन ऑफिस में आदित्य को फोन आया —
“बेटा, माँ की तबीयत बहुत खराब है। जल्दी आ जाओ।”
आदित्य घबरा गया।
पहली बार उसे लगा कि सफलता, शहर और सपने सब अधूरे हैं
अगर माँ का आशीर्वाद साथ न हो।
वह उसी रात ट्रेन से गाँव पहुँचा।
दरवाज़े पर वही माँ थी — पर कमजोर, थकी हुई।
चेहरे पर दर्द था, लेकिन आँखों में अब भी वही स्नेह था।
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा —
“देखा बेटा, तू आया ना… मुझे पता था।”
आदित्य ने माँ का हाथ थामा,
और पहली बार महसूस किया कि वह हाथ अब कितना ठंडा पड़ चुका है।
वह कुछ कहने ही वाला था कि माँ की आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं।
वह दुनिया से चली गई —
पर चेहरे पर वही मुस्कान थी, जो उसने हमेशा दी थी।
माँ का अधूरा सपना
यह कहानी माँ के सपनों और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी है। पढ़िए यह भावनात्मक माँ पर कहानी हिंदी में।
कुछ दिन बाद जब घर की सफाई हो रही थी,
तो पुराने संदूक से एक कॉपी मिली।
उसमें लिखा था —
“अगर मेरा बेटा बड़ा आदमी बने,
तो मैं एक दिन स्कूल खोलूँगी — ताकि गाँव की बेटियाँ पढ़ सकें।”
आदित्य की आँखें नम हो गईं।
उसे लगा जैसे माँ उसके सामने खड़ी है,
कह रही हो — “अब तू मेरा सपना पूरा कर दे।”
उसी दिन आदित्य ने तय किया कि वह माँ के नाम पर स्कूल बनाएगा।
कई महीनों की मेहनत के बाद गाँव में एक छोटा-सा स्कूल खुला —
“माँ सरस्वती बालिका विद्यालय”
उस दिन आदित्य को लगा कि माँ कहीं नहीं गई…
वह हर बच्चे की मुस्कान में, हर दीए की लौ में ज़िंदा है।
अंतिम पंक्तियाँ
कहानी के संदेश के साथ "यह प्रेरक कहानी हर माँ के सपने को सलाम करती है।"
आज आदित्य जब उस स्कूल के गेट पर खड़ा होता है,
तो उसे लगता है कि माँ की आत्मा वहीं मुस्कुरा रही है।
वह अब समझ चुका है —
माँ का सपना कभी अधूरा नहीं रहता,
बस उसे पूरा करने के लिए हमें लौटना पड़ता है,
उनकी यादों के गाँव में।
यह कहानी माँ के सपनों और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी है। पढ़िए यह भावनात्मक माँ पर कहानी हिंदी में।
ऐसी और प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ने के लिए http://www.magicalstorybynb.in पर जाएँ।
✍️ लेखक: Nagendra Bharatiy
📖 ब्लॉग: http://www.KedarKahani.in
💬 Like • Comment • Share करें — माँ के सपनों के नाम।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपनी राय साझा करें, लेकिन सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करें।