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बुढ़ापे का सहारा बनी EPS 95 योजना |
दोस्तों, हमारे देश में लाखों कर्मचारी अपनी पूरी जवानी राष्ट्र निर्माण में लगा देते हैं। कारखानों से लेकर दफ्तरों तक, वेतनभोगी कर्मचारी हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन जब उम्र ढलने लगती है, तब सबसे बड़ी चिंता होती है – अब भविष्य कैसे चलेगा? इसी चिंता को हल करने के लिए सरकार ने एक योजना शुरू की थी – EPS 95, यानी Employees’ Pension Scheme 1995।
जैसा कि, मुझे पता है। EPS 95 एक सरकारी पेंशन योजना है, जिसे EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा संचालित किया जाता है। यह योजना 16 नवंबर 1995 को लागू हुई और इसका उद्देश्य था कि संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित पेंशन दी जा सके।
इस योजना के अंतर्गत कर्मचारी को जीवनभर मासिक पेंशन दी जाती है। इसके अलावा, यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों को भी फैमिली पेंशन मिलती है।
वह कर्मचारी जो EPF (Employees' Provident Fund) में योगदान करता है।
कुल वेतन का 12% कर्मचारी देता है और उतना ही नियोक्ता देता है।
नियोक्ता के हिस्से से 8.33% EPS में जमा होता है (मौजूदा सैलरी सीमा ₹15,000 के अनुसार अधिकतम ₹1,250 प्रति माह)।
EPS 95 में पेंशन का निर्धारण इस फार्मूले के आधार पर होता है:
(पेंशन योग्य वेतन × सेवा के वर्ष) ÷ 70
उदाहरण: यदि किसी कर्मचारी की पेंशन योग्य वेतन ₹10,000 है और उसने 30 वर्ष सेवा की है, तो उसकी मासिक पेंशन होगी:
(10,000 × 30) ÷ 70 = ₹4,285 प्रति माह
2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया कि यदि किसी कर्मचारी ने अपने EPF में वास्तविक वेतन के अनुसार योगदान किया है, तो वह EPS में भी उसी आधार पर पेंशन पाने का अधिकारी है।
किन्हें मिल सकता है, उच्च पेंशन का विकल्प?
जिन कर्मचारियों ने EPS 95 में फॉर्म 26(6) या समान अनुरोध देकर अपने वास्तविक वेतन के अनुसार योगदान किया था।
जिन्हें EPFO ने पहले मना कर दिया था, वे भी अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आवेदन कर सकते हैं।
क्या करना होगा?
ऑनलाइन आवेदन करना होगा EPFO पोर्टल पर।
आवश्यक दस्तावेजों के साथ, पुरानी सेवा जानकारी और वेतन स्लिप देना जरूरी है।
EPS 95 आज एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना बन चुकी है, लेकिन इसमें कई समस्याएं हैं ।
कम पेंशन राशि:
अधिकतर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ₹1,000 से ₹2,000 तक की पेंशन मिल रही है, जो वर्तमान महंगाई में बेहद कम है।
अनिश्चितता और अस्पष्टता:
उच्च पेंशन के लिए लागू नियम, दस्तावेज़ीकरण और समय सीमा को लेकर भ्रम है। बहुत से बुजुर्गों को प्रक्रिया समझने में कठिनाई हो रही है।
EPFO की प्रतिक्रिया:
EPFO ने उच्च पेंशन के मामलों में कई बार विरोध जताया और प्रक्रिया को धीमा किया है, जिससे लाखों पेंशनर्स परेशान हैं।
देशभर में EPS 95 पेंशनर्स यूनियन सक्रिय हैं। वे मांग कर रहे हैं कि:
न्यूनतम पेंशन ₹1,000 से बढ़ाकर ₹5,000 या ₹7,500 की जाए।
सभी पेंशनर्स को मुफ्त चिकित्सा सुविधा और डीए (Dearness Allowance) मिलना चाहिए।
उच्च पेंशन के लिए सरल, एकीकृत प्रक्रिया लागू की जाए।
यह सिर्फ एक आर्थिक मांग नहीं, बल्कि गरिमा के साथ जीने का हक है।
EPS 95 जैसी योजनाएं केवल कागज़ी नहीं होनी चाहिए। इन्हें धरातल पर उतारने के लिए सरकार, समाज और युवा पीढ़ी को मिलकर प्रयास करना होगा।
अगर हम चाहते हैं कि हमारे माता-पिता और आने वाले कल के बुज़ुर्ग सम्मान से जी सकें, तो हमें इन योजनाओं को जानना, समझना और समर्थन देना जरूरी है।
EPS 95 एक सुनहरा विचार था – “बुढ़ापा भी सुरक्षित हो।” लेकिन आज ज़रूरत है कि इसे समय के अनुरूप मजबूत किया जाए।
हमारा ब्लॉग, magicalstorybynb.in, समाज और शिक्षा से जुड़े हर पहलू पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है।
आइए, इस विषय पर और लोगों को जागरूक करें – ताकि हर बुज़ुर्ग के चेहरे पर मुस्कान और मन में आत्मनिर्भरता बनी रहे।
लेखक: नागेन्द्र भारतीय
ब्लॉग: magicalstorybynb.in
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