माँ का अधूरा सपना
| तुम संग – एक नई दुनिया |
गाँव का सूरज धीमे-धीमे पहाड़ियों के पीछे से झाँक रहा था। खेतों में हल जोतते बैलों की आवाज़ और पक्षियों की चहचहाहट सुबह के सन्नाटे को तोड़ रही थी। इसी गाँव में रहता था अविनाश—एक साधारण किसान परिवार का लड़का, मगर सपने असाधारण।
अविनाश की आँखों में एक लक्ष्य था—इंजीनियर बनने का। मगर यह राह आसान नहीं थी। गाँव में शिक्षा को लेकर उदासीनता थी। लोग मानते थे कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी खेतों में काम करना है। फिर भी, वह हर सुबह अपनी पुरानी किताबें उठाता और पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने बैठ जाता।
उसी गाँव में रहती थी सुमन—एक तेज-तर्रार लड़की, जिसे पढ़ाई से उतना ही प्यार था जितना अविनाश को। मगर उसके घर की सोच उससे बिल्कुल विपरीत थी।
"लड़कियों को ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत? शादी के बाद तो घर ही संभालना है!" उसके पिता अक्सर कहते। मगर सुमन चुप नहीं रहती। वह जानती थी कि पढ़ाई ही उसका भविष्य संवार सकती है।
एक दिन, गाँव के तालाब के पास, जब अविनाश अपनी किताबों में डूबा हुआ था, सुमन वहाँ आई।
"इतनी मेहनत कर रहे हो, लगता है गाँव से बाहर जाने की तैयारी है?" सुमन ने मुस्कुराते हुए पूछा।
अविनाश ने सर उठाया और पहली बार उसे देखा—गहरी काली आँखें, जिनमें आत्मविश्वास झलक रहा था।
"हाँ, मुझे इंजीनियर बनना है," उसने संकोच से कहा।
"अच्छा! फिर तो तुम गाँव के पहले इंजीनियर बनोगे," सुमन ने हौले से कहा, जैसे वह उसकी सफलता की कल्पना कर रही हो।
उस दिन के बाद, दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं। दोनों एक-दूसरे के सपनों को समझने लगे। मगर गाँव का माहौल उनके इस दोस्ती को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं था।
एक दिन, जब सुमन के पिता को इस दोस्ती की भनक लगी, तो घर में कोहराम मच गया। "लड़की जात पढ़ाई करेगी और लड़कों से दोस्ती भी?" उनकी कड़क आवाज़ गूँज उठी। सुमन की किताबें छीन ली गईं, और उसे घर से बाहर निकलने की मनाही हो गई।
उधर, अविनाश भी मुश्किलों से घिर गया। उसके पिता ने समझाया, "बेटा, प्यार-व्यार छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान दो। यह गाँव तुम्हारे लिए नहीं बदलेगा।"
मगर अविनाश जानता था कि अगर उसने हार मान ली, तो उसके और सुमन जैसे कई सपने यहीं दम तोड़ देंगे।
क्या अविनाश अपने सपनों की लड़ाई जीत पाएगा? क्या सुमन का साथ उसे इस संघर्ष में मजबूती देगा? या समाज की दीवारें उनके प्रेम और सपनों को तोड़ देंगी?
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