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माँ का अधूरा सपना

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यह कहानी माँ के सपनों और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी है। पढ़िए यह भावनात्मक माँ पर कहानी हिंदी में। जब माँ मुस्कुराती है, तो सारी परेशानियाँ छोटी लगती हैं।  बचपन की खुशबू कितनी अजीब बात है — जब हम बड़े होते हैं तो हमें अपने बचपन की खुशबू याद आने लगती है। आदित्य भी अब वही महसूस कर रहा था। वह दिल्ली की भीड़ में फँसा एक छोटा सा आदमी था, लेकिन उसके मन में एक गाँव बसता था — जहाँ उसकी माँ रहती थी। आदित्य के लिए माँ सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं थी, बल्कि उसका पूरा संसार थी। जब वह छोटा था, माँ हर सुबह उसे जगाते हुए कहती — “बेटा, एक दिन तू बड़ा आदमी बनेगा।” उस समय आदित्य को हँसी आती थी। उसे लगता था — माँ बस मनाने के लिए कहती है। पर अब वही बात उसकी आँखों में आँसू बनकर उतर आती थी।  संघर्ष और माँ का त्याग आदित्य का बचपन गरीबी में बीता। माँ ने कभी अपनी भूख की परवाह नहीं की। वह खेतों में मजदूरी करती, फिर घर आकर रोटी बनाती, और बेटे की कॉपी-किताबें दुरुस्त करती। कभी-कभी बिजली नहीं होती, तो वह दीए की रोशनी में बेटे को पढ़ाती। माँ का सपना था कि आदित्य “अफसर” बने। पर हालात इतने कठिन थे कि स्कूल की फीस ...

भारत में राष्ट्रपति का पद सबसे ऊंचा क्यों है ?


क्या भारत में राष्ट्रपति का पद सबसे ऊंचा है 
?

Bharat
Power of Indian constitution 

भारत में राष्ट्रपति का पद संवैधानिक दृष्टि से सबसे ऊंचा माना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार, "भारत में एक राष्ट्रपति होगा।" राष्ट्रपति देश के संवैधानिक प्रमुख और तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होते हैं। उनके पास कई महत्वपूर्ण अधिकार हैं, लेकिन उनका हर कार्य प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधा हुआ होता है।

यद्यपि राष्ट्रपति का पद गरिमा और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, लेकिन उनके अधिकार सीमित हैं। असली शक्ति प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के पास होती है। इस लेख में, हम राष्ट्रपति के अधिकार, कर्तव्यों और उनकी सीमाओं को विस्तार से समझेंगे।

राष्ट्रपति के अधिकार और कर्तव्य

राष्ट्रपति के पास देश के शासन और प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ खास अधिकार और कर्तव्य हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:- 

1. संसद का सत्र बुलाना और भंग करना

राष्ट्रपति संसद का सत्र बुलाने और स्थगित या भंग करने का अधिकार रखते हैं। जब संसद में कोई विधेयक पास होता है, तो वह कानून तभी बनता है जब राष्ट्रपति उसे अपनी मंजूरी देते हैं। हालांकि, अगर राष्ट्रपति चाहें, तो वे विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकते हैं।

2. प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति

राष्ट्रपति चुनाव के बाद लोकसभा में बहुमत पाने वाले दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं। इसके अलावा, मंत्रिपरिषद के सदस्यों को भी राष्ट्रपति ही शपथ दिलाते हैं।

3. सेना का सर्वोच्च कमांडर

भारत की थल सेना, नौसेना और वायु सेना के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति होते हैं। लेकिन रक्षा से संबंधित सभी फैसले रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री की सलाह पर ही लिए जाते हैं।

4. आपातकालीन शक्तियां

राष्ट्रपति के पास विशेष परिस्थितियों में आपातकाल लागू करने का अधिकार है। आपातकाल तीन प्रकार के हो सकते हैं:

  • राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में)।
  • राज्य आपातकाल (जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाए)।
  • वित्तीय आपातकाल (जब देश की आर्थिक स्थिरता को खतरा हो)।

5. न्यायपालिका और राज्यपालों की नियुक्ति

राष्ट्रपति देश के उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं। साथ ही, राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति भी उन्हीं के द्वारा की जाती है।

राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित क्यों हैं ?

यह सवाल अक्सर उठता है कि जब राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर हैं, तो उनकी शक्तियां सीमित क्यों हैं? इसका उत्तर भारत के संविधान में छिपा है। संविधान ने यह व्यवस्था की है कि राष्ट्रपति का हर कार्य प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की सलाह पर आधारित होगा।

इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति के पास अधिकार तो हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद उन्हें सलाह दें।

उदाहरण के तौर पर:

  • संसद का सत्र बुलाने का निर्णय प्रधानमंत्री लेते हैं।
  • किसी विधेयक को मंजूरी देने से पहले राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करते हैं।
  • आपातकाल की घोषणा भी प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर ही होती है।

यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि राष्ट्रपति के पास शक्ति का अत्यधिक केंद्रीकरण न हो और लोकतांत्रिक प्रणाली में संतुलन बना रहे।

आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति की भूमिका

आपातकाल के समय राष्ट्रपति की भूमिका अधिक प्रभावशाली हो जाती है। वह संसद को भंग कर सकते हैं, राज्य सरकारों को बर्खास्त कर सकते हैं और विशेष कानून लागू कर सकते हैं। हालांकि, यह सब प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही होता है।

1975 में, जब इमरजेंसी लगी थी, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर आपातकाल की घोषणा की थी। यह एक विवादास्पद समय था, जब देश में नागरिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया था।

राष्ट्रपति का प्रतीकात्मक महत्व

राष्ट्रपति का पद भले ही शक्तियों के मामले में सीमित हो, लेकिन इसका महत्व प्रतीकात्मक और संवैधानिक दोनों है। राष्ट्रपति देश की एकता, अखंडता और संविधान के संरक्षक होते हैं। वह यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार संविधान के अनुसार काम करे और देश में कानून और व्यवस्था बनी रहे।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का अंतर

  • राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की भूमिकाओं में बड़ा अंतर है। राष्ट्रपति देश के संवैधानिक प्रमुख हैं, जबकि प्रधानमंत्री कार्यपालिका प्रमुख हैं।
  • राष्ट्रपति का काम है कानून और संविधान की रक्षा करना।
  • प्रधानमंत्री और उनकी सरकार देश के प्रशासन को चलाने का काम करती है।

इस तरह, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की भूमिकाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, लेकिन उनकी ताकतें अलग-अलग हैं।

प्रिय पाठकों

राष्ट्रपति पद हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल भारतीय संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करता है, बल्कि देश की एकता, अखंडता और संस्कृति को भी बनाए रखने का दायित्व निभाता है। इस ब्लॉग के माध्यम से हम राष्ट्रपति पद के इतिहास, कार्य, और समाज में इसके प्रभाव को समझने का प्रयास किया है। मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और हम सब एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकेंगे। Nagendra Bharatiy

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