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मोहर्रम का इतिहास|The History of Muharram

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करबला की कहानी और इमाम हुसैन की अमर गाथा ✍️ लेखक: नागेन्द्र भारतीय 🌐 ब्लॉग: kedarkahani.in | magicalstorybynb.in कहते है, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है — मोहर्रम। जब दुनियाभर में लोग नववर्ष का जश्न मनाते हैं, तब मुसलमान मोहर्रम की शुरुआत शोक और श्रद्धा के साथ करते हैं। यह महीना केवल समय का प्रतीक नहीं, बल्कि उस संघर्ष, बलिदान और उसूल की याद दिलाता है, जिसे इमाम हुसैन ने करबला की तपती ज़मीन पर अपने खून से सींचा था। मोहर्रम का अर्थ है — “वर्जित”, यानी ऐसा महीना जिसमें लड़ाई-झगड़े निषिद्ध हैं। लेकिन इतिहास ने इस महीने में ऐसी त्रासदी लिख दी, जो आज भी करोड़ों लोगों की आँखें नम कर देती है। 📜 मोहर्रम का इतिहास  🕋 इस्लामी महीनों में पवित्र मोहर्रम को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में गिना जाता है मुहर्रम, रजब, ज़ुल-क़ादा और ज़ुल-हिज्जा (या ज़िल-हिज्जा)। लेकिन मोहर्रम का विशेष महत्व इस बात से है कि इसमें करबला की त्रासदी हुई — एक ऐसा युद्ध जो केवल तलवारों का नहीं था, बल्कि विचारधारा और सिद्धांतों का संघर्ष था। करबला की कहानी इस्लाम के पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एक ऐ...

बौद्ध धर्म का विस्तार

Baudh dharm
भारत में बौद्ध धर्म का विस्तार



भारत में बौद्ध धर्म का प्रारंभ से पतन तक

बौद्ध धर्म का इतिहास किसी महान कहानी से कम नहीं है। यह कहानी है सत्य, करुणा और अहिंसा के मार्ग पर चलने की, जिसने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को बदलकर रख दिया। बौद्ध धर्म का विस्तार सिर्फ एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि मानवता के विकास का प्रतीक है। आइए इस प्रेरणादायक यात्रा को समझने की कोशिश करें।

गौतम बुद्ध की शिक्षाओं की शुरुआत

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। राजकुमार सिद्धार्थ ने राजसी सुखों को छोड़कर सत्य की खोज में जीवन समर्पित कर दिया। ज्ञान की खोज के बाद उन्हें बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे "बुद्ध" कहलाए।

उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया, जो बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांत बने।

  1. दुख का सत्य
  2. दुख के कारण का सत्य 
  3. दुख की समाप्ति का सत्य
  4. दुख समाप्त करने के मार्ग का सत्य

बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक संघ की स्थापना की। संघ में उनके शिष्य और अनुयायी शामिल थे, जो धर्म प्रचार करते थे। यह संघ बौद्ध धर्म के विस्तार का आधार बना।

भारत में बौद्ध धर्म का विस्तार

बुद्ध
भारत में बौद्ध धर्म का विस्तार


बुद्ध के जीवनकाल में ही बौद्ध धर्म ने उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी जड़ें जमाई। बुद्ध के निर्वाण के बाद उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं को संरक्षित किया और इसे आगे बढ़ाया।

मौर्य साम्राज्य और सम्राट अशोक का योगदान

सम्राट अशोक का बौद्ध धर्म के विस्तार में योगदान अतुलनीय है। कलिंग युद्ध की हिंसा से प्रभावित होकर अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। उन्होंने धर्म प्रचार के लिए अनेक स्तूप, विहार और शिलालेख बनवाए।

अशोक ने धर्मदूतों को श्रीलंका, मध्य एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया भेजा। उनकी बेटी संघमित्रा और पुत्र महेंद्र ने श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। अशोक के समय में बौद्ध धर्म ने पहली बार भारत की सीमाओं को पार किया।

भारत के बाहर बौद्ध धर्म का विस्तार

श्रीलंका

अशोक के धर्मदूतों ने श्रीलंका में बौद्ध धर्म की नींव रखी। यहां के राजा देवानांपिय तिस्स ने इसे अपनाया। जल्द ही, श्रीलंका में बौद्ध धर्म मुख्य धर्म बन गया और यहां से यह दक्षिण-पूर्व एशिया में फैल गया।

दक्षिण-पूर्व एशिया

बौद्ध धर्म व्यापारियों और भिक्षुओं के माध्यम से म्यांमार (बर्मा), थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम तक पहुंचा। यहां के लोग विशेष रूप से थेरेवाद (हीनयान) बौद्ध धर्म से प्रभावित हुए।

चीन

दूसरी शताब्दी में बौद्ध धर्म चीन पहुंचा। यहां इसे महायान के रूप में स्वीकृति मिली। चीनी सम्राटों ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, जिससे यह चीन में तेजी से फैला।

जापान और कोरिया

चीन के माध्यम से बौद्ध धर्म कोरिया और जापान पहुंचा। छठी शताब्दी तक, यह इन देशों में भी लोकप्रिय हो गया। जापान में बौद्ध धर्म ने वहां के धार्मिक और सांस्कृतिक विकास पर गहरा प्रभाव डाला।

मध्य एशिया और तिब्बत

रेशम मार्ग के माध्यम से बौद्ध धर्म मध्य एशिया और तिब्बत तक पहुंचा। तिब्बत में, बौद्ध धर्म ने अपनी विशिष्ट तांत्रिक परंपराओं और गुरुओं की शिक्षाओं के साथ एक अलग रूप विकसित किया।

बौद्ध धर्म के प्रमुख संप्रदाय

बौद्ध धर्म ने समय के साथ विभिन्न संस्कृतियों में अपनाए जाने के कारण कई रूप धारण किए। इसके दो प्रमुख संप्रदाय हैं।

1.थेरेवाद (हीनयान)

यह बुद्ध की मूल शिक्षाओं पर आधारित है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में यह प्रमुख है।

2. महायान

यह करुणा और बोधिसत्व मार्ग पर जोर देता है।

चीन, जापान और तिब्बत में यह अधिक लोकप्रिय है।

भारत में बौद्ध धर्म का पतन और पुनरुत्थान

गुप्त साम्राज्य के समय से भारत में बौद्ध धर्म का पतन शुरू हुआ। ब्राह्मण धर्म का पुनरुत्थान, इस्लामी आक्रमण, और संघों की आंतरिक कमजोरियों ने बौद्ध धर्म को भारत से लगभग विलुप्त कर दिया।

हालांकि, 20वीं शताब्दी में डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित किया। 1956 में उन्होंने लाखों दलितों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया। इससे बौद्ध धर्म ने फिर से भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

आधुनिक युग में बौद्ध धर्म

आज बौद्ध धर्म अपनी शिक्षाओं के कारण पूरे विश्व में सम्मानित है। यह धर्म विज्ञान, ध्यान और आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है। इसकी शिक्षाएं आज के समाज के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी हजारों साल पहले थीं।

बौद्ध धर्म की यात्रा दिखाती है कि एक विचार, जब सत्य और करुणा पर आधारित हो, तो वह सीमाओं को पार कर सकता है और पूरी मानवता को प्रभावित कर सकता है। यह केवल धर्म का नहीं, बल्कि एक नई सोच और बेहतर समाज का भी संदेश है।

नमस्ते, 'मै हु नागेंद्र भारतीय' और आज हमने बौद्ध धर्म से जुड़ी कहानी को विस्तार से जानने का प्रयास किया है, जोकि सत्य है। बौद्ध धर्म का विस्तार एक अनोखी कहानी है, जिसमें त्याग, करुणा और ज्ञान की गहरी शिक्षा छिपी है। इस धर्म ने न केवल विश्व के सांस्कृतिक और धार्मिक परिदृश्य को बदला, बल्कि मानवता के लिए एक नई दिशा भी तय की। यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि कैसे एक व्यक्ति का संदेश पूरी दुनिया को बदल सकता है।

ठीक है, दोस्तो कमेंट बॉक्स में, लिखना न भूले।

भारत में बौद्ध धर्म का विस्तार




 बुद्धं शरणं गच्छामि।

धम्मं शरणं गच्छामि।

सङ्घं शरणं गच्छामि।


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