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मई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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Doctor sir ANM

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Doctor sir ANM  गांव बड़ेली की बेटी बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े डॉक्टर होते हैं... लेकिन असली नायक वो होती है जो कच्चे रास्तों से होते हुए, गाँव की मिट्टी में ज़िंदगी बचाने जाती है... बिना लाइमलाइट के... बिना तामझाम के... ANM!”  वह सर्द सुबह थी। बड़ेली गांव की धुंध में लिपटी एक साड़ीधारी महिला, अपने झोले में स्टेथेस्कोप और टीके भरकर निकल चुकी थी – क्योंकि आज उसे तीन घरों में गर्भवती महिलाओं की जांच करनी थी। उसका नाम है सोनाली, लेकिन गांव के बच्चे उसे "डॉक्टर जी ANM" कहकर बुलाते हैं – प्यार से, गर्व से, और भरोसे से।  दरअसल बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बड़ेली की। मिट्टी की खुशबू, बैलों की चरचराहट और खेतों के बीच बसी एक प्यारी-सी दुनिया। वहीं एक लड़की थी – चंचल, होशियार और हमेशा मुस्कुराने वाली – उसका नाम था सोनाली । 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी उसने, लेकिन घर की हालत ऐसी नहीं थी कि कोई बड़ी पढ़ाई का सपना देखा जाए। पिता किसान थे, मां आंगनवाड़ी में सहायिका। दो छोटे भाई-बहन थे, जिन्हें संभालने में सोनाली मां की दाहिनी हाथ बन चुकी थी। एक दिन सोनाली अपनी मां ...

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Doctor sir ANM  गांव बड़ेली की बेटी बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े डॉक्टर होते हैं... लेकिन असली नायक वो होती है जो कच्चे रास्तों से होते हुए, गाँव की मिट्टी में ज़िंदगी बचाने जाती है... बिना लाइमलाइट के... बिना तामझाम के... ANM!”  वह सर्द सुबह थी। बड़ेली गांव की धुंध में लिपटी एक साड़ीधारी महिला, अपने झोले में स्टेथेस्कोप और टीके भरकर निकल चुकी थी – क्योंकि आज उसे तीन घरों में गर्भवती महिलाओं की जांच करनी थी। उसका नाम है सोनाली, लेकिन गांव के बच्चे उसे "डॉक्टर जी ANM" कहकर बुलाते हैं – प्यार से, गर्व से, और भरोसे से।  दरअसल बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बड़ेली की। मिट्टी की खुशबू, बैलों की चरचराहट और खेतों के बीच बसी एक प्यारी-सी दुनिया। वहीं एक लड़की थी – चंचल, होशियार और हमेशा मुस्कुराने वाली – उसका नाम था सोनाली । 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी उसने, लेकिन घर की हालत ऐसी नहीं थी कि कोई बड़ी पढ़ाई का सपना देखा जाए। पिता किसान थे, मां आंगनवाड़ी में सहायिका। दो छोटे भाई-बहन थे, जिन्हें संभालने में सोनाली मां की दाहिनी हाथ बन चुकी थी। एक दिन सोनाली अपनी मां ...

UP पंचायत चुनाव 2025, अब गांव बदलेगा, जब हम सही नेता चुनेंगे | UP Panchayat Election 2025, Let’s Change Our Village by Choosing the Right Leader

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Up panchayat election  UP पंचायत चुनाव 2025 – सही नेता चुनें, गाँव बदले उत्तर प्रदेश में 2025 का पंचायत चुनाव नजदीक है। यह चुनाव हमारे गांव, हमारी गलियों और हमारे भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह कोई बड़ी राजनीति नहीं, बल्कि हमारे घर-आंगन की बात है। पंचायत चुनाव वह मौका होता है, जब हम अपने गांव के लिए सही फैसला ले सकते हैं। इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि पंचायत चुनाव क्यों ज़रूरी है,  क्या बदलाव आ सकता है और हमें क्या करना चाहिए। पंचायत चुनाव क्या होता है?  पंचायत चुनाव गांव की सरकार चुनने का चुनाव होता है। इसमें हम ग्राम प्रधान, बीडीसी (ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी) और जिला पंचायत सदस्य जैसे नेताओं को चुनते हैं। ये नेता हमारे गांव में सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, और रोज़गार जैसे मुद्दों पर काम करते हैं। इनका काम सीधा-सीधा हमारी जिंदगी से जुड़ा होता है। यही लोकतंत्र की असली जड़ें होती हैं, जहाँ जनता और सरकार के बीच सीधा रिश्ता होता है। 2025 के चुनाव में क्या खास है? इस बार का पंचायत चुनाव इसलिए खास है क्योंकि: कर्म और भाग्य की लड़ाई एपिसोड 5 जरूर पढ़ना चाहिए ...

Vivo Y20 V2029.|कम कीमत में दमदार स्मार्टफोन का अनुभव

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वीवो y20 V2029 Vivo Y20 V2029: एक शानदार बजट फोन, जो दिल जीत ले। लेखक: नागेन्द्र भारतीय |हमारा समाज हमारी शिक्षा/www.magicalstorybynb.in क्या आप भी एक ऐसी तकनीक ढूंढ रहे हैं जो दिखने में शानदार हो, कार में आसान हो और आपकी जेब पर भी भारी न पड़े? तो जनाब, Vivo Y20 V2029 आपके लिए बना है! आज हम बात करेंगे एक ऐसे इक्विपमेंट की जिसे लेकर, लाखों लोग इसके दीवाने हो रहे हैं। पढ़ें:ईपीएस 95 पेंशन योजना क्या हैं  1. बजट में सबसे अच्छा - कीमत से करे दोस्ती Vivo Y20 V2029 की सबसे बड़ी खासियत, इसकी कीमत है। ₹10,000 से ₹12,000 के बीच यह फोन भारत में मिलता है। सोचिए, 6 जीबी रैम और 64 जीबी स्टोरेज वाले फोन में कितना कम - जो पहले सिर्फ सोचा था, अब हकीकत बन गया है। 2. स्टाइलिश डिज़ाइन - दिल जीतने वाला लुक यह फोन सिर्फ काम का है नहीं, दिखने में भी कमाल का है। इसका चिकना डिज़ाइन, ग्लॉसी फ़िनिश और रंगीन रेंज - विशेष रूप से डॉन व्हाइट और ओब्सीडियन ब्लैक - आपको एक प्रीमियम श्रेणी वाला मिलेगा। आईटीसी साइड-अंचलेड नागालैंड सेंसर भी बिल्कुल स्टाइलिश है - एक टच में फोन स्नैपचैट! 3. बड़ी बैटरी - दिन भर साथ खेले...

Brain Hemorrhage|Silent Body, Screaming Brain|खामोश शरीर, चीखता मस्तिष्क।

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Silent Body, Screaming Brain. कभी-कभी शरीर बोलता नहीं… पर मस्तिष्क अंदर से चीखता है। ये कहानी है एक ऐसी पुकार की… जो सुनी नहीं गई। एक ऐसी चुप्पी… जो मौत बन गई। एक अधेड़ उम्र का आदमी चुपचाप कुर्सी पर बैठा है, चेहरा थका हुआ, आंखों में खालीपन… और बैकग्राउंड में ब्रेन की आवाज़ सुनाई देती है – “क्या कोई मेरी चीख सुन सकता है? तब जाके ब्रेन ने की विटामिन्स से बात । लेखक: नागेन्द्र भारतीय स्रोत: www.kedarkahani.in | www.magicalstorybynb.in  शरीर के भीतर, मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्से में... चारों ओर सन्नाटा था। रक्त का प्रवाह धीमा पड़ रहा था, नसों में तनाव था, और मस्तिष्क के भीतर एक गूंज सी हो रही थी। ब्रेन (मस्तिष्क) थककर बैठा था। वो बेचैन था – दर्द में, कमजोर, और भ्रमित। ब्रेन (धीमे स्वर में): क्या हो रहा है मुझे? सोच नहीं पा रहा… कुछ गड़बड़ है… बहुत गड़बड़।" इसी बीच एक चमकदार रोशनी अंदर आई – जैसे कोई शक्ति आ रही हो। यह कोई और नहीं, बल्कि विटामिन्स थे – शरीर के असली रक्षक। प्रवेश – विटामिन्स की टोली विटामिन B12: तुम बहुत परेशान लग रहे हो ब्रेन। क्या अब भी समय है कुछ ठीक करने का? ब्रेन: ...

बाबा वेंगा | एक रहस्य, एक भविष्य, एक विश्वास| Baba vanga

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  Baba vanga "आँखों से अंधी... लेकिन भविष्य की आँखों से सब कुछ देखती थी!" एक तूफान ने उससे उसकी दृष्टि छीनी, लेकिन बदले में दे दी ऐसी शक्ति... जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। क्या कोई सच में भविष्य देख सकता है? या ये बस एक रहस्य है – इंसान की सबसे बड़ी जिज्ञासा का?" आइए मिलते हैं बाबा वेंगा से – उस महिला से, जिसे 'भविष्य की भविष्यवक्ता' कहा गया। दुनिया में कई रहस्यमयी हस्तियाँ आईं, लेकिन बुल्गारिया की एक महिला ने अपने भविष्यवाणियों से पूरी मानवता को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसका नाम था – बाबा वेंगा । आंखों से देख नहीं सकती थीं, लेकिन कहानियों के मुताबिक भविष्य उन्हें साफ दिखाई देता था। क्या सच में वो भविष्य देख सकती थीं? या फिर यह सब संयोग मात्र था? आइए जानते हैं बाबा वेंगा की जीवनगाथा और उनके रहस्यमयी भविष्यवाणियों की कहानी। प्रारंभिक जीवन बाबा वेंगा का जन्म 31 जनवरी 1911 को उस समय के ओटोमन साम्राज्य (अब उत्तर मैसेडोनिया) के एक गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम था वेंगेलिया पांडेवा गुषतेरोवा। बचपन में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया और उनके पिता को युद्ध में जाना प...

EPS 95|Employees’ Pension Scheme 1995.

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  बुढ़ापे का सहारा बनी EPS 95 योजना What does EPS 95 say? |क्या हमारा बुढ़ापा सुरक्षित है? "जब तन थकता है, तब मन को सहारा चाहिए। और यह सहारा बन सकता है – एक पेंशन योजना जो बुढ़ापे में आत्मनिर्भरता का आधार बन जाए।" दोस्तों, हमारे देश में लाखों कर्मचारी अपनी पूरी जवानी राष्ट्र निर्माण में लगा देते हैं। कारखानों से लेकर दफ्तरों तक, वेतनभोगी कर्मचारी हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन जब उम्र ढलने लगती है, तब सबसे बड़ी चिंता होती है – अब भविष्य कैसे चलेगा? इसी चिंता को हल करने के लिए सरकार ने एक योजना शुरू की थी – EPS 95, यानी Employees’ Pension Scheme 1995। दोस्तों, क्या आपको पता है, EPS 95 क्या है? जैसा कि, मुझे पता है। EPS 95 एक सरकारी पेंशन योजना है, जिसे EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा संचालित किया जाता है। यह योजना 16 नवंबर 1995 को लागू हुई और इसका उद्देश्य था कि संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित पेंशन दी जा सके। इस योजना के अंतर्गत कर्मचारी को जीवनभर मासिक पेंशन दी जाती है। इसके अलावा, यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उ...

अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृति का साधक|Akshaya Tritiya: The Devotee of Indian Culture

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अक्षय तृतीया की शुभकामनाएँ – समृद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा का पर्व अक्षय तृतीया: शाश्वत समृद्धि और शुभारंभ का पर्व लेखक: Nagendra Bharatiy भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर पर्व केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन की अनुभूति कराता है। ऐसा ही एक अनुपम पर्व है अक्षय तृतीया , जिसे 'अविनाशी शुभ मुहूर्त' कहा जाता है। यह पर्व न केवल स्वर्ण ख़रीदने या निवेश का दिन है, बल्कि यह एक नई शुरुआत, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है। अक्षय तृतीया का अर्थ और महत्व ' अक्षय ' का अर्थ होता है - जो कभी क्षय न हो, यानी नष्ट न होने वाला। 'तृतीया' यानी वैसाख मास की तीसरी तिथि। इस दिन किया गया पुण्य कार्य, दान, पूजा, या शुभारंभ अनंत फल देने वाला माना जाता है। यही कारण है कि अक्षय तृतीया को सर्वसिद्ध मुहूर्त भी कहा गया है - एक ऐसा दिन जिसमें किसी भी कार्य को बिना पंचांग देखे शुरू किया जा सकता है। पौराणिक महत्व इस दिन से जुड़ी अनेक दिव्य कथाएँ हैं: श्री परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था – जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। महाभारत काल में, इसी दिन...

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