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दिसंबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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Doctor sir ANM

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Doctor sir ANM  गांव बड़ेली की बेटी बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े डॉक्टर होते हैं... लेकिन असली नायक वो होती है जो कच्चे रास्तों से होते हुए, गाँव की मिट्टी में ज़िंदगी बचाने जाती है... बिना लाइमलाइट के... बिना तामझाम के... ANM!”  वह सर्द सुबह थी। बड़ेली गांव की धुंध में लिपटी एक साड़ीधारी महिला, अपने झोले में स्टेथेस्कोप और टीके भरकर निकल चुकी थी – क्योंकि आज उसे तीन घरों में गर्भवती महिलाओं की जांच करनी थी। उसका नाम है सोनाली, लेकिन गांव के बच्चे उसे "डॉक्टर जी ANM" कहकर बुलाते हैं – प्यार से, गर्व से, और भरोसे से।  दरअसल बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बड़ेली की। मिट्टी की खुशबू, बैलों की चरचराहट और खेतों के बीच बसी एक प्यारी-सी दुनिया। वहीं एक लड़की थी – चंचल, होशियार और हमेशा मुस्कुराने वाली – उसका नाम था सोनाली । 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी उसने, लेकिन घर की हालत ऐसी नहीं थी कि कोई बड़ी पढ़ाई का सपना देखा जाए। पिता किसान थे, मां आंगनवाड़ी में सहायिका। दो छोटे भाई-बहन थे, जिन्हें संभालने में सोनाली मां की दाहिनी हाथ बन चुकी थी। एक दिन सोनाली अपनी मां ...

मनमोहन सिंह और भारतीय राजनीति

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डॉ. मनमोहन सिंह भारत के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपनी सादगी, विद्वता और कड़ी मेहनत से देश और दुनिया में एक अलग पहचान बनाई। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब (अब पाकिस्तान में) के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने बेहद साधारण परिस्थितियों में जीवन की शुरुआत की, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से वे ऊंचाइयों तक पहुंचे। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा डॉ. सिंह का परिवार विभाजन के समय भारत आ गया। वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे। उनका झुकाव गणित और अर्थशास्त्र की ओर था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। इसके बाद ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल की उपाधि प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल एक शानदार अर्थशास्त्री बनाया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। डॉ. सिंह का करियर अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संगठनों में काम कर चुके हैं। उन्होंने भारत में योजना आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप ...

जहरीले चलन (दहेज प्रथा) नाटक/उपन्यास

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दृश्य प्रथम इस कथानक के सभी पात्र एवं कहानी - तथ्य पूर्णतया काल्पनिक है     लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय (मसाढी) आमुख   – भौतिक वादी परंपराओं में लिपटे, जनमानस के मनोदशा से आहत होकर अपने श्रृंगार कक्ष में बैठी हुई नटी को देखकर, नट को आश्चर्य व्यक्त करना पड़ा। नट–  [ आते ही ] आश्चर्य   है! हे आर्ये ! ऐसे गुमसुम, क्यो बैठी हो।मन मुरझाया सा क्यों है, आज ये तुम्हारे कुंठल (केश) बिखरे से क्यों हैं।  मुख मण्डल की आभाऐ निरीह सी क्यों हैं। या मुझसे कुछ अपराध हुआ,  या गैरो ने विष घोल दिया। बोलो प्यारी कुछ तो बोलो, या सामाजिक तत्वों ने दिल तोड़ दिया।। आज रंग – मंच का मंचन है, ऐसे क्यों मुरझाई हो। शहनाई मध्य विपन्न का आया, जैसे मुझसे रसियाई हो।   लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय ( मसाढी) नटी–  [ अचानक उठते हुए] आर्य –पुत्र! ये क्या कह रहे हो।  ना रसियाई हु,न झुंझलाई हु।          ना ही आर्य – उदासी – है।                   जहरीले चलन के मंचन से,     ...

Prime Minister Modi's Visit to Prayagraj: Transforming the Spiritual City for Mahakumbh 2025. "महाकुंभ 2025 की ओर: प्रधानमंत्री मोदी का प्रयागराज दौरा और विकास की नई शुरुआत"

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13 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज का दौरा किया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य महाकुंभ 2025 की तैयारियों की समीक्षा और विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करना था। यह दौरा उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी योजनाओं और प्रयागराज के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं भौतिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। महाकुंभ 2025: एक वैश्विक आयोजन महाकुंभ 2025, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक, दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। इसे भव्य और व्यवस्थित रूप से आयोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक स्तर पर तैयारी की है। इस आयोजन के लिए विशेष रूप से "महाकुंभनगर" नामक एक नया जिला घोषित किया गया है। यह आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की तैयारियों को सुचारू बनाने के लिए 6,670 करोड़ रुपये की लागत से अनेक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें नई सड़कों, फ्लाईओवर, स्थायी घाट, और आधुनिक बुनियादी ढांचा शामिल है। प्रधानमंत्री का दौरा: मुख्य गतिविधियां

महाकुंभ मेला: प्रयागराज में नए जिले की शुरुआत । "Mahakumbh Mela: The Formation of a New District in Prayagraj"

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उत्तर प्रदेश का नया जिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र को "महाकुंभ मेला जनपद" नामक एक नए जिले के रूप में घोषित किया है। यह निर्णय महाकुंभ 2025 की विशाल तैयारियों को सुचारू रूप से प्रबंधित करने और प्रशासनिक कार्यों को बेहतर बनाने के लिए लिया गया। इस नई घोषणा के साथ, उत्तर प्रदेश में जिलों की संख्या अब 75 से बढ़कर 76 हो गई है। महाकुंभ मेला जनपद का गठन क्यों  ?

Living Robots of the Future: The Beginning of a New World."भविष्य के जिंदा रोबोट: एक नई दुनिया की शुरुआत।"

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 रोबोट: भविष्य की दुनिया के जिंदा साथी । तकनीक की तेज़ी से बढ़ती दुनिया में रोबोटिक्स ऐसा क्षेत्र बन चुका है जो विज्ञान-कथा से निकलकर हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। लेकिन सवाल यह है, कि क्या रोबोट सचमुच "जिंदा" हो सकते हैं? और अगर हां, तो यह हमारे समाज, हमारी सोच और हमारे भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा? रोबोट का इतिहास और विकास ।

सूर्य का असली रंग: विज्ञान और प्रकृति का अनोखा रहस्य ।"The True Color of the Sun: A Unique Mystery of Science and Nature."

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सूर्य का असली रंग विज्ञान की दृष्टि से। सूर्य, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, हर किसी को अपनी चमकदार रोशनी और गर्मी से प्रभावित करता है। जब हम इसे देखते हैं, तो यह अक्सर हमें पीला या कभी-कभी नारंगी दिखाई देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सूर्य का असली रंग क्या है? क्या यह वास्तव में पीला है, जैसा कि हम मानते हैं? इस लेख में हम सूर्य के असली रंग और इससे जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों पर चर्चा करेंगे। सूर्य का असली रंग क्या है  ? सूर्य का वास्तविक रंग सफेद है। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह एक वैज्ञानिक तथ्य है। सूर्य से जो प्रकाश निकलता है, वह वास्तव में सफेद होता है। इस सफेद प्रकाश में सात रंगों का मिश्रण होता है, जिसे हम "विजिबल स्पेक्ट्रम" कहते हैं। इंद्रधनुष में दिखने वाले रंग—बैंगनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, और लाल—सूर्य के इसी सफेद प्रकाश का हिस्सा हैं। हमें सूर्य पीला क्यों दिखाई देता है  ?

प्रकृति का चमत्कार: मूविंग रॉक्स का रहस्य।"Nature's Miracle: The Mystery of Moving Rocks."

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प्राकृतिक का रहस्यमय करिश्मा। मूविंग रॉक्स (Moving Rocks) एक ऐसा रॉक्स है, जिसे "Sailing Stones" या "Sliding Rocks" भी कहा जाता है, एक दुर्लभ और आश्चर्यजनक प्राकृतिक घटना है। इसमें भारी पत्थर बिना किसी स्पष्ट बाहरी बल के अपने आप सरकते हुए दिखाई देते हैं, और उनके पीछे लंबे निशान बन जाते हैं। यह घटना मुख्य रूप से अमेरिका के कैलिफोर्निया में डेथ वैली नेशनल पार्क के भीतर स्थित रेसट्रैक प्लाया नामक स्थल पर देखी जाती है। दशकों तक यह घटना वैज्ञानिकों, पर्यटकों, और जिज्ञासु शोधकर्ताओं के लिए रहस्य बनी रही। रेसट्रैक प्लाया: अद्भुत स्थल  रेसट्रैक प्लाया एक सूखी झील (Dry Lake Bed) है, जो समुद्र तल से 1,131 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र एक सपाट, शुष्क और चिकनी सतह है, जो गर्मियों में अत्यधिक शुष्क और सर्दियों में हल्की नमी से भर जाती है। इसका नाम "रेसट्रैक" इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पत्थर चलते हुए ऐसा प्रतीत होते हैं जैसे वे किसी दौड़ में भाग ले रहे हों। इतिहास और खोज 

Inflating Roti on Gas Flame: A Health Risk or a Myth ? "गैस पर रोटी फुलाना: सेहत के लिए खतरा या भ्रम ?"

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बिना तवे पर रोटी फुलाने का जोखिम  हमारे देश में रोटी केवल एक भोजन नहीं है, यह हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। हर घर में रोटी बनती है, और इसे पकाने के तरीके भी भिन्न-भिन्न होते हैं। इनमें से एक तरीका है रोटी को तवे पर अधपकी छोड़कर सीधे गैस की आग पर फुलाना। हालांकि यह तरीका आम है और इससे रोटी नरम और स्वादिष्ट लगती है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दोस्ती इस लेख में हम समझेंगे कि गैस की आग पर रोटी फुलाने का कैंसर से क्या संबंध हो सकता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं। कैसे होता है खतरा  ? धुएं के संपर्क में आना : जब रोटी सीधे गैस पर रखी जाती है, तो जलने की प्रक्रिया के दौरान धुआं बनता है। यह धुआं हानिकारक रसायनों से भरपूर होता है, जैसे कि पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs) और हेट्रोसाइक्लिक एमाइन्स (HCAs)। ये रसायन कैंसर पैदा करने वाले तत्वों के रूप में जाने जाते हैं। कार्बन के अवशेष : रोटी के जलने से उस पर कार्बन के काले अवशेष (char) बन जाते हैं। ये अवशेष सीधे पेट में जाने पर शरीर में मुक्त कण (free radicals) उत्प...

The Game of Global Currencies: Your First Step into Forex. "दुनिया की मुद्राओं का खेल: फॉरेक्स में आपका पहला कदम "।

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 दुनिया में वित्तीय लेन-देन और निवेश के कई तरीके हैं, लेकिन उनमें से एक ऐसा तरीका है जो तेजी से लोकप्रिय हो रहा है—फॉरेक्स ट्रेडिंग। यह विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) बाजार पर आधारित एक व्यापार प्रणाली है, जिसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं का आदान-प्रदान किया जाता है। यदि आप वित्तीय स्वतंत्रता और वैश्विक निवेश में रुचि रखते हैं, तो फॉरेक्स ट्रेडिंग आपके लिए एक बेहतरीन अवसर हो सकता है। फॉरेक्स ट्रेडिंग क्या है ? फॉरेक्स ट्रेडिंग, जिसे आमतौर पर FX ट्रेडिंग भी कहा जाता है, विभिन्न मुद्राओं की खरीद और बिक्री का कार्य है। इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है, जो करेंसी के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव पर आधारित है। यह बाजार 24 घंटे सक्रिय रहता है और इसका संचालन वैश्विक स्तर पर होता है। फॉरेक्स ट्रेडिंग का महत्व  फॉरेक्स बाजार दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे अधिक तरलता वाला (liquid) बाजार है। प्रतिदिन इस बाजार में लगभग 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है। यह निवेशकों और ट्रेडर्स को दुनिया की अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने और उच्च लाभ कमाने का अवसर प्रदान करता है। फॉरेक्स ट्रेडिंग...

समय का जादू: जब इतिहास से मिट गए 11 दिन ! "Give us our eleven days!"

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जब कैलेंडर से गायब हो गए 11 दिन इतिहास के पन्नों में सितंबर 1752 एक ऐसा महीना है, जो दुनियाभर के कैलेंडर इतिहास में अनोखी जगह रखता है। इस महीने में एक ऐसा अद्भुत परिवर्तन हुआ, जिसने समय और तारीखों को गहराई से प्रभावित किया। आइए समझते हैं कि आखिर सितंबर 1752 में ऐसा क्या हुआ था, जिसने इसे इतिहास के महत्वपूर्ण महीनों में शामिल कर दिया। जूलियन कैलेंडर से ग्रेगोरियन कैलेंडर तक का सफर  प्राचीन रोम के समय से जूलियन कैलेंडर का उपयोग हो रहा था, जिसे 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने लागू किया था। इस कैलेंडर ने सूर्य वर्ष को 365 दिन और 6 घंटे का मान दिया। हालांकि, इसमें एक छोटी सी खामी थी: यह असल सौर वर्ष से करीब 11 मिनट और 14 सेकंड लंबा था। यह त्रुटि छोटी दिखती है, लेकिन सदियों में यह बड़ी समस्या बन गई। इस त्रुटि के कारण, हर 128 साल में कैलेंडर 1 दिन आगे बढ़ जाता था। यह धार्मिक और खगोलीय घटनाओं जैसे ईस्टर (ईस्टर पूर्णिमा) के समय निर्धारण में बाधा डालने लगा। 16वीं सदी तक, ईस्टर असल तारीख से 10 दिन आगे बढ़ चुका था। ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 

सबसे लंबी फिल्म 'लॉजिस्टिक्स', कला, समय और धैर्य का संगम । The Longest Film 'Logistics', A Fusion of Art, Time, and Patience.

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दुनिया में फिल्में सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि यह कला, विचार और कल्पना का प्रतीक भी हैं। आम तौर पर एक फिल्म 2-3 घंटे की होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक फिल्म 857 घंटे लंबी हो सकती है ? यह पढ़कर आश्चर्य होगा, लेकिन स्वीडन की फिल्म 'लॉजिस्टिक्स' (Logistics) ने इसे सच कर दिखाया है। यह फिल्म अब तक की सबसे लंबी फिल्म है और अपने अनूठे विषय और प्रस्तुति के कारण एक अद्वितीय उदाहरण बन गई है। दोस्तो हम इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि यह फिल्म क्यों और कैसे बनाई गई, इसका उद्देश्य क्या था, और यह सिनेमा के इतिहास में क्यों खास है। ' लॉजिस्टिक्स' क्या है ? 'लॉजिस्टिक्स' स्वीडन के दो फिल्म निर्माताओं, एरिका मैग्नसन और डेनियल एंडरसन, द्वारा बनाई गई एक डॉक्यूमेंटरी है। इसे 2012 में रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म की लंबाई 857 घंटे, यानी 35 दिन और 17 घंटे है। फिल्म का प्लॉट बहुत अनोखा और सरल है। यह एक पोर्टेबल पेडोमीटर (एक कदम गिनने वाला उपकरण) के उत्पादन की पूरी प्रक्रिया को दिखाती है। फिल्म में दिखाया गया है कि यह पेडोमीटर कैसे डिज़ाइन किया गया, कहां इसका निर्माण ...

ब्लू डार्ट का सफर, भारत में कूरियर सेवा के नए युग की शुरुआत। The Journey of Blue Dart, Pioneering a New Era in Courier Services in India.

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  भारत में लॉजिस्टिक्स और कूरियर सेवाओं की जब बात होती है, तो ब्लू डार्ट (Blue Dart) का नाम सबसे पहले आता है। तेज़ और विश्वसनीय सेवाओं के लिए जानी जाने वाली यह कंपनी, भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक बड़ी पहचान रखती है। इस ब्लॉग में, हम ब्लू डार्ट की शुरुआत, उसके विकास, और सफलता की कहानी को विस्तार से जानेंगे। शुरुआत :  तीन दोस्तों का सपना (1983) 

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जहरीला चलन भाग - 1[ दहेज प्रथा पर आधारित]