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माँ का अधूरा सपना

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यह कहानी माँ के सपनों और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी है। पढ़िए यह भावनात्मक माँ पर कहानी हिंदी में। जब माँ मुस्कुराती है, तो सारी परेशानियाँ छोटी लगती हैं।  बचपन की खुशबू कितनी अजीब बात है — जब हम बड़े होते हैं तो हमें अपने बचपन की खुशबू याद आने लगती है। आदित्य भी अब वही महसूस कर रहा था। वह दिल्ली की भीड़ में फँसा एक छोटा सा आदमी था, लेकिन उसके मन में एक गाँव बसता था — जहाँ उसकी माँ रहती थी। आदित्य के लिए माँ सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं थी, बल्कि उसका पूरा संसार थी। जब वह छोटा था, माँ हर सुबह उसे जगाते हुए कहती — “बेटा, एक दिन तू बड़ा आदमी बनेगा।” उस समय आदित्य को हँसी आती थी। उसे लगता था — माँ बस मनाने के लिए कहती है। पर अब वही बात उसकी आँखों में आँसू बनकर उतर आती थी।  संघर्ष और माँ का त्याग आदित्य का बचपन गरीबी में बीता। माँ ने कभी अपनी भूख की परवाह नहीं की। वह खेतों में मजदूरी करती, फिर घर आकर रोटी बनाती, और बेटे की कॉपी-किताबें दुरुस्त करती। कभी-कभी बिजली नहीं होती, तो वह दीए की रोशनी में बेटे को पढ़ाती। माँ का सपना था कि आदित्य “अफसर” बने। पर हालात इतने कठिन थे कि स्कूल की फीस ...

मनमोहन सिंह और भारतीय राजनीति


डॉ. मनमोहन सिंह भारत के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपनी सादगी, विद्वता और कड़ी मेहनत से देश और दुनिया में एक अलग पहचान बनाई। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब (अब पाकिस्तान में) के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने बेहद साधारण परिस्थितियों में जीवन की शुरुआत की, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से वे ऊंचाइयों तक पहुंचे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. सिंह का परिवार विभाजन के समय भारत आ गया। वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे। उनका झुकाव गणित और अर्थशास्त्र की ओर था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। इसके बाद ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल की उपाधि प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल एक शानदार अर्थशास्त्री बनाया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।

डॉ. सिंह का करियर

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संगठनों में काम कर चुके हैं। उन्होंने भारत में योजना आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने के दौरान सामने आई। उस समय भारत आर्थिक संकट से गुजर रहा था। डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने बाजार को खोला, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाया। आज हम जिस आर्थिक प्रगति पर गर्व करते हैं, उसका श्रेय डॉ. सिंह को जाता है।

प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के थे और लगातार दस वर्षों तक पद पर रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की।

1. आर्थिक विकास

उन्होंने आर्थिक नीतियों को मजबूत किया और गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। उनके कार्यकाल में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना।

2. मनरेगा योजना

उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) लागू की गई, जिसने गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाए।

3. परमाणु समझौता

डॉ. सिंह ने अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया, जिससे भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

4. शिक्षा और स्वास्थ्य

उनके कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए गए। उन्होंने 'शिक्षा का अधिकार' कानून लागू किया, जिससे हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिला।

5. आधार कार्ड योजना की शुरुआत

उनके कार्यकाल में आधार योजना की नींव रखी गई, जिसने भारत को डिजिटल पहचान देने में मदद की।

डॉ. सिंह की खासियत

डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी सादगी और ईमानदारी के लिए जाना जाता था। वे बड़े पद पर रहते हुए भी बेहद विनम्र और शालीन बने रहे। उनकी आवाज भले ही धीमी थी, लेकिन उनके कार्य बोलते थे। वे हमेशा राजनीति से ऊपर उठकर देश की सेवा में जुटे रहे।

चुनौतियां और आलोचनाएं

प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. सिंह को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए, जिनकी वजह से उनकी सरकार की छवि प्रभावित हुई। हालांकि, इन आलोचनाओं के बावजूद डॉ. सिंह ने अपने पद और कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाया।

निधन और विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ। उनके निधन से भारत ने एक महान नेता और अर्थशास्त्री को खो दिया। देशभर में उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।

उनकी विरासत हमेशा हमें यह सिखाएगी कि सच्चा नेता वह होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के अपने देश की सेवा करता है। डॉ. सिंह अपने पीछे ऐसी मिसाल छोड़ गए हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।


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