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Doctor sir ANM

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Doctor sir ANM  गांव बड़ेली की बेटी बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े डॉक्टर होते हैं... लेकिन असली नायक वो होती है जो कच्चे रास्तों से होते हुए, गाँव की मिट्टी में ज़िंदगी बचाने जाती है... बिना लाइमलाइट के... बिना तामझाम के... ANM!”  वह सर्द सुबह थी। बड़ेली गांव की धुंध में लिपटी एक साड़ीधारी महिला, अपने झोले में स्टेथेस्कोप और टीके भरकर निकल चुकी थी – क्योंकि आज उसे तीन घरों में गर्भवती महिलाओं की जांच करनी थी। उसका नाम है सोनाली, लेकिन गांव के बच्चे उसे "डॉक्टर जी ANM" कहकर बुलाते हैं – प्यार से, गर्व से, और भरोसे से।  दरअसल बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बड़ेली की। मिट्टी की खुशबू, बैलों की चरचराहट और खेतों के बीच बसी एक प्यारी-सी दुनिया। वहीं एक लड़की थी – चंचल, होशियार और हमेशा मुस्कुराने वाली – उसका नाम था सोनाली । 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी उसने, लेकिन घर की हालत ऐसी नहीं थी कि कोई बड़ी पढ़ाई का सपना देखा जाए। पिता किसान थे, मां आंगनवाड़ी में सहायिका। दो छोटे भाई-बहन थे, जिन्हें संभालने में सोनाली मां की दाहिनी हाथ बन चुकी थी। एक दिन सोनाली अपनी मां ...

जहरीले चलन (दहेज प्रथा) नाटक/उपन्यास

दृश्य प्रथम

इस कथानक के सभी पात्र एवं कहानी - तथ्य पूर्णतया काल्पनिक है   लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय (मसाढी)

आमुख भौतिक वादी परंपराओं में लिपटे, जनमानस के मनोदशा से आहत होकर अपने श्रृंगार कक्ष में बैठी हुई नटी को देखकर, नट को आश्चर्य व्यक्त करना पड़ा।


नट– [आते ही] आश्चर्य है! हे आर्ये ! ऐसे गुमसुम, क्यो बैठी हो।मन मुरझाया सा क्यों है, आज ये तुम्हारे कुंठल (केश) बिखरे से क्यों हैं।  मुख मण्डल की आभाऐ निरीह सी क्यों हैं।

या मुझसे कुछ अपराध हुआ, 

या गैरो ने विष घोल दिया।

बोलो प्यारी कुछ तो बोलो,

या सामाजिक तत्वों ने दिल तोड़ दिया।।

आज रंग – मंच का मंचन है,

ऐसे क्यों मुरझाई हो।

शहनाई मध्य विपन्न का आया,

जैसे मुझसे रसियाई हो। 

लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय ( मसाढी)

नटी– [ अचानक उठते हुए] आर्य –पुत्र! ये क्या कह रहे हो। 
ना रसियाई हु,न झुंझलाई हु।

         ना ही आर्य – उदासी – है।

                  जहरीले चलन के मंचन से,

                  मुझको अति उल्लासी है।।

कितु आर्य अफसोस सदा से,

मेरे हृदय को डसती हैं।

महिलाओं का शोषण है नित,

बस बात यही अखरती है।।

लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय ( मसाढी)

नट– यह सत्य है आर्ये! हमारे आर्यावर्त भारत में, पुरातन युगों से लेकर आज तक के आधुनिक मानव में भी, नारियों का उत्पीड़न कम नहीं, बल्कि अति भयावह होता जा रहा है।

निरंकुश – निरा- अधम मानव,

काम - क्रोध का दास बना।

धन - वैभव - माया का भूखा,

स्त्री - प्राणों का ग्रास बना।। 

लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय ( मसाढी) 


वार्ताहे आर्ये! हम पुरुष होकर भी, इन घटनाओं को विराम नहीं दे पा रहे है।

हम इस सृष्टि के कितने अभागे पात्र है हम क्या करे।

नटी– हर पुरुष वैसा नहीं होता आर्य!

कुछ सातों गुणी, कुछ रजोगुणी

कुछ तमोगुणी का राज्य यहां।

तामस हृदय अति - अपवादी,

सतोगुणी सर ताज कहां।।

लेखक – श्री केदारनाथ उर्फ भुवाल भारतीय ( मसाढी) 

नट– हे आर्ये! तुम सत्य कहती हो! अच्छों का शासन इस सृष्टि में दुर्लभ दृष्टि गत हैं। आज के नाटक का जो रंगमंच पे मंचन होगा उसका नाम  "जहरीले चलन"  हैं, किंतु उसका विषय - वस्तु क्या होगा।

नटी - हम स्त्रियों पर सबसे अधिक तांडव मचाने वाला विषय, "दहेज प्रथा  है "  आर्य जो प्रति कुंवारियों के परिणय सूत्र के पहले और बाद में, "क्या होगा" एक भयानक संशय और दुविधा के ग्रहण तले, स्नेह प्यार और नरम नाजुक इच्छाएं कराहती रहती हैं।

दहेज बला की कला, करता वज्र प्रहार।

हम स्त्रियों के ऊपर, चलता आयुध हथियार।।


वार्ता–  हे आर्य! आज फिर एक स्त्री, "जहरीले चलन नाटक" के मंच पर मारी– सताई और अति वेदना से प्रमाणित की जाएगी।जिसे देखना मेरे लिए असहनीय होगा। 

 नट–  अर्थात दहेज की वलवेदी पर एक निर्दोष अवला पर अत्याचार होगा।

नटी– हां आर्य! यह नाटक समाज के लिए एक संदेश होगा ।"जहरीले चलन"का कथानक बहुत भावपूर्ण हृदय - स्पर्शी करुणा से आत्मा को भर देने वाला, नेत्रों को आंसुओं में डूबो देने वाला मर्मस्पर्शी संवेदनशील होगा।

नट– तो क्या सुंदर सा नाटक " जहरीले चलन" रंगमंच पर कुशल पूर्वक अभिनीत हो सकेगा आर्ये।

नटी– अवश्य आर्य! क्योंकि हमने सच्चे मन से विद्या और ज्ञान के सागर भगवान आशुतोष भोलेनाथ का आवाहन कर डाला है।

नट– तब तो हमें अब, रंग – मंच की तरफ प्रस्थान करना चाहिए आर्ये।

नटी– हां आर्य अवश्य! चलो चलते है।

दोनों  का जाना

पर्दा – गिरना 

Hi friends मै हु, नागेंद्र भारतीय इस कहानी को आगे बढ़ने में मेरा हेल्प करे , इस कहानी को सप्ताह के एक दिन प्रकाशित किया जाएगा। कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दे। अब आगे अगले अध्याय में.........



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